PANKHURI

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कुछ आखर-कुछ पन्ने

Tuesday, October 13, 2009

(4)

कर लेती हूँ मैं
तुमसे ढेरों बातें ,
तमाम दूरियों के बावजूद ...!
तुम्हारे पास होने के लिए
मुझे नहीं महसूस होती ज़रूरत
तुम तक जाने की ... !
अलग रह कर भी तुम्हारा एहसास रहता है
हमेशा मेरे पास ...!
अपनी खुशियाँ,
आँसू ,
व्यस्तता ,
अकेलापन ,
और भी जाने कितना कहा -अनकहा ,
बाँट लेती हूँ तुमसे ,
इतनी दूर रह कर भी ... !
सच दोस्त ,
तुम मुझे कभी ख़ुद से जुदा महसूस ही नही होते ,
शायद
इसी का नाम दोस्ती है ... !

Monday, October 5, 2009

(3)

तुम्हें महसूस करना चाहती हूं ।
मैं अब हद से गुज़रना चाहती हूं ।
जो अच्छा या बुरा है ,पास मेरे ,
तुम्हारे नाम करना चाहती हूं ।
तुम्हारी रूह के गहरे अंधेरे -
उजालों में उतरना चाहती हूं ।
सितारे तुमने जो बिखरा दिए हैं ,
उन्हें पलकों में भरना चाहती हूं ।
दुखों की उम्र जी ली है बहुत , अब ,
खुशी की मौत मरना चाहती हूं ।

(इस ब्लाग की सभी रचनाएं लेखिका की मौलिक एवं निजी कृति है। कृपया इनका अन्य कहीं इस्तेमाल न करें।)

मैं 'प्रतिमा '