कर लेती हूँ मैं
तुमसे ढेरों बातें ,
तमाम दूरियों के बावजूद ...!
तुम्हारे पास होने के लिए
मुझे नहीं महसूस होती ज़रूरत
तुम तक जाने की ... !
अलग रह कर भी तुम्हारा एहसास रहता है
हमेशा मेरे पास ...!
अपनी खुशियाँ,
आँसू ,
व्यस्तता ,
अकेलापन ,
और भी जाने कितना कहा -अनकहा ,
बाँट लेती हूँ तुमसे ,
इतनी दूर रह कर भी ... !
सच दोस्त ,
तुम मुझे कभी ख़ुद से जुदा महसूस ही नही होते ,
शायद
इसी का नाम दोस्ती है ... !