तुम्हें महसूस करना चाहती हूं ।
मैं अब हद से गुज़रना चाहती हूं ।
जो अच्छा या बुरा है ,पास मेरे ,
तुम्हारे नाम करना चाहती हूं ।
तुम्हारी रूह के गहरे अंधेरे -
उजालों में उतरना चाहती हूं ।
सितारे तुमने जो बिखरा दिए हैं ,
उन्हें पलकों में भरना चाहती हूं ।
दुखों की उम्र जी ली है बहुत , अब ,
खुशी की मौत मरना चाहती हूं ।
(इस ब्लाग की सभी रचनाएं लेखिका की मौलिक एवं निजी कृति है। कृपया इनका अन्य कहीं इस्तेमाल न करें।)
मैं 'प्रतिमा '
pratima ...aapne mujhe bataya nahi ki , ye baya blog hai aapka ...
ReplyDeletetumhari rooh ke gahre andhere ujaalo me utarna chahta hoon .. khushi ki maut marna chahti hoon ... pratima ..these lines speak a lot .... ye poem utni choti nahi hai jitni aapne likhi hai .... the canvas is much bigger...
i am speachless
kuch nahi kahunga ji
badhai kabul kare..
regards
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com