PANKHURI

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कुछ आखर-कुछ पन्ने

Monday, November 2, 2009

(5)

उसने चुपके से मुझे याद किया है शायद ... !
फिर मेरे जेहन की तन्हाई में ,
रूह का साज़ बज उठा है कहीं ,
उड़ती फिरती सी तितलियों की तरह ,
धड़कनें भी मेरे काबू में नहीं ,
उसने चुपके से मुझे याद किया है शायद ... !
फिर से कौंधी है कोई बिजली सी ,
फिर कोई लौ सी थरथराई है ,
फिर मेरी नज़रें चौंक उट्ठी हैं ,
जैसे आवाज़ कोई आई है ,
उसने चुपके से मेरा नाम लिया है शायद ... !


"प्रतिमा "

5 comments:

  1. कविता बहुत अच्छी है !

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  2. बहुत सुन्दर लिखा है आपने

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  3. सुन्दर सी कविता ..बधाई.
    ________________________
    'पाखी की दुनिया' में 'पाखी बनी क्लास-मानीटर' !!

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  4. फिर मेरी नज़रें चौंक उट्ठी हैं ,
    जैसे आवाज़ कोई आई है ,
    उसने चुपके से मेरा नाम लिया है शायद ...
    ..सुन्दर कविता ....

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  5. Pratima jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
    आप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
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