PANKHURI

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कुछ आखर-कुछ पन्ने

Monday, April 23, 2012

'' दोस्त मैं यहाँ हूँ .... '' !!!


आवाज़ की भी नज़रें होती हैं क्या....????

अगर नहीं...तो वो कौन है,
जो सारा दिन मेरे कानों में गूंजता रहता है
और बहुत करीब से मुझे तकता  भी रहता है....
जिसे सुनती हूँ तो एक जोड़ा आँखें 
अपने चेहरे पर 
टिक गयी सी....
 महसूस करती हूँ...!

आवाज़ के भी कान होते हैं क्या....????

अगर नहीं...तो वो क्या है,
जो मुझे सुनाई देता है...फिर सुन भी लेता है मुझे... 
मेरे कानों  में आहट सा बजता है 
और फिर खुद ही चौंक उठता है मेरे कदमों  की आहट सुन कर  ...!

आवाज़ की भी बाहें होती हैं क्या....????

अगर नहीं....तो ये कैसे मुमकिन होता है 
कि उसे सुनती हूँ तो सिमट जाती हूँ
उसके ही घेरे में...
एक पाश सा महसूस होता है अपने इर्द-गिर्द ...

गूँजता सा...
बोलता  सा  ...
गुनगुनाता सा...!

आवाज़ का भी नाम होता है क्या....????

 शायद हाँ ....
तभी तो ...
सुनते ही  पुकार उठती हूँ उसे नाम से 
बेसाख्ता ....
'' दोस्त मैं यहाँ हूँ .... '' !!!!!!

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