PANKHURI

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कुछ आखर-कुछ पन्ने

Wednesday, April 18, 2012


उदासी....
तुम्हारा पता क्या है ????
किधर छुप कर रहती हो तुम
सारा दिन...,
और 
कहाँ से अचानक निकल कर 
चली आती हो शाम होते ही 
मेरे ज़ेहन के आँगन में 
बिन बताये बिन बुलाये मेहमान की तरह ....

इतना ही नहीं.....
तुम आकर बैठती  भी  नहीं
किसी एक जगह
शरीफ़  लोगों की तरह 
कुछ देर बैठ कर वापस चले जाने के लिए...
पसार लेती  हो अपना वजूद 
मन के एक कोने से दूसरे कोने तक....  
कि
किसी और के बैठने की जगह ही नहीं बचती 
ख़ुद मेरे लिए  भी नहीं....,
अपनी गठरी-पोटली 
सब खोल कर 
उलट डालती हो मेरे चारों ओर 
इस  कदर  
कि
उनसे निकल पाना मुश्किल हो जाता है
देर रात गए तक...

उदासी ...
तुम्हारी ये आदत 
अब
मेरे सहन की सीमा से बाहर जा रही है...
किसी दिन
तोड़ दूँगी तुम्हारा मुँह
फ़ेंक दूँगी उठा कर 
सारा साजोसामान तुम्हारा
मन से बाहर बहुत दूर ...
निकल बाहर करुँगी तुम्हें अपनी ज़िन्दगी से 
बिना किसी लिहाज के....,

फिर न कहना ...
चेताया न था....!!!

11 comments:

  1. इस उदासी को चेताने का कोई फायदा है क्या..? कब परवाह की है इसने किसी की...? जब देखो.. जहाँ देखो मुँह उठाये चली आती है, बिना दस्तक दिए... और फिर मजबूरन उठाना पड़ता है बोझ इस बिन-बुलाये मेहमान के भारी-भरकम वजूद का... सिर्फ़ इसको ही क्यों दोष दे..? खुशियों को भी तो कहा था ना जाना तुम हमें छोडकर एक पल के लिए भी कि तुम्हारे जाते ही चली आएगी वो... डरती है जो तुम्हारे हंसते-मुस्कुराते..जिंदादिल व्यक्तित्व से... ओझल होते ही पल-भर को तुम्हारे इसकी हिम्मत अनायास ही बढ़ जाती है... पर कब सुनता है हमारी पुकार कोई.... आखिर हर कोई अपनी मर्ज़ी का मालिक जो है....

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    1. जानती हो न ...मैं किसी को छेड़ती नहीं.....और जो छेड़े उसे छोड़ती नहीं (courtesy - bollywood movies),:-P उदासी बहुत वक्त से परेशान कर रही है उसे चेतना ज़रूरी था...

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  2. फिर न कहना ...
    चेताया न था....!!!kya andaz hai.....wah.

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    1. मृदुला जी , हृदय से आभार...इस अंदाज़ में बस दिल का सादापन मिलाया है मैंने..... :-)

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  3. Replies
    1. thanx a lot Suman Ji, ur's only one word 'वाह' made my effort successful.

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  4. ज़बरदस्त....सच भी यही है...

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    1. हौसला अफज़ाई का शुक्रिया दिल से......

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  5. उदासी को उलाहना देती सुंदर सार्थक प्रस्तुति..
    उदासी यूँ ही तो नहीं आती..
    बहुत बढ़िया मनोभाव ..

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    1. कविता जी....कविता की ऊंगली थाम कर सब कुछ कह देना कितना आसान हो जाता है ....है न....बस वही कोशिश की थी ....आपकी सराहना के लिए आभार बहुत.....

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